"जब तक न प्रलय हो धरती पर / जयकृष्ण राय तुषार" के अवतरणों में अंतर
('<poem>बीत रहे हैं दिन सतरंगी केवल ख़्वाबों में | चलो मुश...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
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− | <poem> | + | <poem>जब तक न प्रलय हो धरती पर |
− | + | जब तक सूरज पवमान रहे | | |
− | + | जनगण मन और तिरंगे की | |
− | + | आभा में हिन्दुस्तान रहे | | |
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− | + | चरणों में हिन्द महासागर | |
− | + | सीने में यमुना -गंगा हो , | |
− | + | बाँहों में सतलज ,ब्रह्मपुत्र | |
− | + | मन में कश्मीर ,कलिंगा हो , | |
− | + | मथुरा ,गोकुल ,वृन्दावन में | |
− | + | मुरली की मोहक तान रहे | | |
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− | + | गिरिजाघर में माँ मरियम हों | |
− | + | गुरुग्रंथ रहे गुरुद्वारों में , | |
− | + | हो बिहू ,भांगड़ा कुचिपुड़ी | |
− | + | हर मौसम में त्योहारों में , | |
− | + | तेरे मन्दिर गीता ,मानस | |
− | मौसम | + | हर मस्जिद में कुरआन रहे | |
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− | + | हम भगत सिंह के वंशज हैं | |
− | + | ईमान हमारा बना रहे , | |
− | + | बापू के सत्य अहिंसा का भी | |
− | + | छत्र शीश पर तना रहे , | |
− | + | जब कभी देश पर संकट हो | |
− | + | पहले मेरा बलिदान रहे | | |
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− | + | उत्तर से दक्षिण ,पूरब से - | |
− | + | पश्चिम फैली हरियाली हो , | |
− | + | भुखमरी ,गरीबी हटो दूर ! | |
− | + | हर हाथ शहद की प्याली हो , | |
− | + | भारत माँ तेरी मिटटी का | |
− | + | हर इक तिनका बलवान रहे |,</poem> | |
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11:00, 7 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
जब तक न प्रलय हो धरती पर
जब तक सूरज पवमान रहे |
जनगण मन और तिरंगे की
आभा में हिन्दुस्तान रहे |
चरणों में हिन्द महासागर
सीने में यमुना -गंगा हो ,
बाँहों में सतलज ,ब्रह्मपुत्र
मन में कश्मीर ,कलिंगा हो ,
मथुरा ,गोकुल ,वृन्दावन में
मुरली की मोहक तान रहे |
गिरिजाघर में माँ मरियम हों
गुरुग्रंथ रहे गुरुद्वारों में ,
हो बिहू ,भांगड़ा कुचिपुड़ी
हर मौसम में त्योहारों में ,
तेरे मन्दिर गीता ,मानस
हर मस्जिद में कुरआन रहे |
हम भगत सिंह के वंशज हैं
ईमान हमारा बना रहे ,
बापू के सत्य अहिंसा का भी
छत्र शीश पर तना रहे ,
जब कभी देश पर संकट हो
पहले मेरा बलिदान रहे |
उत्तर से दक्षिण ,पूरब से -
पश्चिम फैली हरियाली हो ,
भुखमरी ,गरीबी हटो दूर !
हर हाथ शहद की प्याली हो ,
भारत माँ तेरी मिटटी का
हर इक तिनका बलवान रहे |,