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"जिस्म सन्दल, मिज़ाज फूलों का.. / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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ज़िस्म सन्दल, मिज़ाज फूलों का  
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ज़िस्म सन्दल, मिज़ाज फूलों का  
हमने देखा है, ताज फूलों का
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सर पे खुशबू के ताज फूलों का
  
किसकी ख़ुशबू है, किसकी यादें हैं
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तुम ही तुम हो जिधर निगाह करूँ  
 
मेरे घर में है, राज फूलों का
 
मेरे घर में है, राज फूलों का
  
आप पत्थर ही पूजिए लेकिन  
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बुतपरस्ती भली सही लेकिन  
 
सुन तो लें एहतिजाज<ref>विरोध</ref> फूलों का
 
सुन तो लें एहतिजाज<ref>विरोध</ref> फूलों का
  
इनको पानी की चार बूंद बहुत
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ओस से ताज़गी मिले तो मिले 
आग से क्या इलाज फूलों का
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आग से क्या इलाज फूलों का  
  
हिन्दू-मुस्लिम बने फ़क़त इंसान
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सारे रंगों की क़द्र करना सीख 
फिर बनेगा समाज फूलों का  
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फिर बनेगा समाज फूलों का  
  
सब्र जो है यतीम बच्चों को
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खुशबूएँ बाँटती रहो ‘श्रद्धा’
बस यही है अनाज फूलों का
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हाँ यही है रिवाज फूलों का
  
पत्थरों पर भी चढ़ गए ‘श्रद्धा’
 
हाँ  यही है रिवाज फूलों का
 
 
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19:25, 15 फ़रवरी 2012 का अवतरण

ज़िस्म सन्दल, मिज़ाज फूलों का
सर पे खुशबू के ताज फूलों का

तुम ही तुम हो जिधर निगाह करूँ
मेरे घर में है, राज फूलों का

बुतपरस्ती भली सही लेकिन
सुन तो लें एहतिजाज<ref>विरोध</ref> फूलों का

ओस से ताज़गी मिले तो मिले
आग से क्या इलाज फूलों का

सारे रंगों की क़द्र करना सीख
फिर बनेगा समाज फूलों का

खुशबूएँ बाँटती रहो ‘श्रद्धा’
हाँ यही है रिवाज फूलों का

शब्दार्थ
<references/>