भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बक़द्र-ए-शौक़ इक़रार-ए-वफ़ा क्या / सीमाब अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमाब अकबराबादी |संग्रह= }}Category:गज़ल <poem> बक़द्र-ए-...) |
|||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
हमारे शौक़ की है इंतहा क्या| | हमारे शौक़ की है इंतहा क्या| | ||
− | मुहब्बत का यही सब | + | मुहब्बत का यही सब शगल ठहरा, |
तो फिर आह-ए-रसा क्या ना-रसा क्या| | तो फिर आह-ए-रसा क्या ना-रसा क्या| | ||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
यहाँ दिल ही नहीं दिल से दुआ क्या| | यहाँ दिल ही नहीं दिल से दुआ क्या| | ||
− | दिल-ए-आफ़त-ज़दा का मुद्द' | + | दिल-ए-आफ़त-ज़दा का मुद्द'आ क्या, |
शिकस्ता-साज़ क्या उस की सज़ा क्या| | शिकस्ता-साज़ क्या उस की सज़ा क्या| | ||
08:36, 20 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
बक़द्र-ए-शौक़ इक़रार-ए-वफ़ा क्या|
हमारे शौक़ की है इंतहा क्या|
मुहब्बत का यही सब शगल ठहरा,
तो फिर आह-ए-रसा क्या ना-रसा क्या|
दुआ दिल से जो निकले कारगर हो,
यहाँ दिल ही नहीं दिल से दुआ क्या|
दिल-ए-आफ़त-ज़दा का मुद्द'आ क्या,
शिकस्ता-साज़ क्या उस की सज़ा क्या|
सलामत दामन-ए-उम्मीद-ए-"सीमाब",
मुहब्बत में किसी का आसरा क्या|