भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जिस दिल को तुमने देख लिया दिल बना दिया / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जिगर मुरादाबादी }} {{KKCatGhazal}} <poem> लाखों म...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:04, 23 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
लाखों में इंतिख़ाब<ref>चयन </ref> के क़ाबिल<ref>योग्य </ref> बना दिया
जिस दिल को तुमने देख लिया दिल बना दिया
पहले कहाँ ये नाज़ थे, ये इश्वा-ओ-अदा<ref>नाज़-नख़रे</ref>
दिल को दुआएँ दो तुम्हें क़ातिल बना दिया
शब्दार्थ
<references/>