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"अपने दिल में उतर कर देख ज़रा / रविंदर कुमार सोनी" के अवतरणों में अंतर
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अपने दिल में उतर कर देख ज़रा | अपने दिल में उतर कर देख ज़रा | ||
दर बदर ढूँढ़ता कहाँ है ख़ुदा | दर बदर ढूँढ़ता कहाँ है ख़ुदा | ||
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मुतरिबा मुझको ग़म का गीत सुना | मुतरिबा मुझको ग़म का गीत सुना | ||
मेरे आँगन में भी हो नग़मासरा | मेरे आँगन में भी हो नग़मासरा | ||
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बंद आँखें मिरी रहीं लेकिन | बंद आँखें मिरी रहीं लेकिन | ||
मरते दम तक तुझी को देखा किया | मरते दम तक तुझी को देखा किया | ||
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दायरे ज़िन्दगी ने लाख बनाए | दायरे ज़िन्दगी ने लाख बनाए | ||
हद से बाहर क़दम निकल ही गया | हद से बाहर क़दम निकल ही गया | ||
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टूटना ही था शीशा ए दिल को | टूटना ही था शीशा ए दिल को | ||
अजनबी बन के देखा आइना | अजनबी बन के देखा आइना | ||
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थी जहाँ रास्तों को मेरी तलाश | थी जहाँ रास्तों को मेरी तलाश | ||
मैं वहाँ ख़ुद ही अपनी मंज़िल था | मैं वहाँ ख़ुद ही अपनी मंज़िल था | ||
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ऐ रवि जाने क्यूँ किसी के बग़ैर | ऐ रवि जाने क्यूँ किसी के बग़ैर | ||
ना मुकम्मल रहा सफ़र मेरा | ना मुकम्मल रहा सफ़र मेरा | ||
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15:26, 25 फ़रवरी 2012 का अवतरण
अपने दिल में उतर कर देख ज़रा
दर बदर ढूँढ़ता कहाँ है ख़ुदा
मुतरिबा मुझको ग़म का गीत सुना
मेरे आँगन में भी हो नग़मासरा
बंद आँखें मिरी रहीं लेकिन
मरते दम तक तुझी को देखा किया
दायरे ज़िन्दगी ने लाख बनाए
हद से बाहर क़दम निकल ही गया
टूटना ही था शीशा ए दिल को
अजनबी बन के देखा आइना
थी जहाँ रास्तों को मेरी तलाश
मैं वहाँ ख़ुद ही अपनी मंज़िल था
ऐ रवि जाने क्यूँ किसी के बग़ैर
ना मुकम्मल रहा सफ़र मेरा