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"तालिब ए दीद हूँ चेहरा तो दिखा, देखूँ मैं / रविंदर कुमार सोनी" के अवतरणों में अंतर

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तालिब ए दीद हूँ चेहरा तो दिखा, देखूँ मैं  
 
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दरमियाँ परदा है क्या, परदा उठा देखूँ मैं  
 
दरमियाँ परदा है क्या, परदा उठा देखूँ मैं  
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मेरी रूदाद पे उस शोख़ की आँखें पुरनम
 
मेरी रूदाद पे उस शोख़ की आँखें पुरनम
 
कैस ओ फ़रहाद का अफ़साना सुना देखूँ मैं  
 
कैस ओ फ़रहाद का अफ़साना सुना देखूँ मैं  
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आ कभी तू मिरे आँगन में दुल्हन बनकर आ  
 
आ कभी तू मिरे आँगन में दुल्हन बनकर आ  
 
तेरे हाथों पे लगा रंग ए हिना देखूँ मैं  
 
तेरे हाथों पे लगा रंग ए हिना देखूँ मैं  
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कोई आहट तो हो टूटे मिरे ज़िन्दां का सकूत  
 
कोई आहट तो हो टूटे मिरे ज़िन्दां का सकूत  
 
चुप रहूँ, पाँव की ज़न्जीर हिला देखूँ मैं
 
चुप रहूँ, पाँव की ज़न्जीर हिला देखूँ मैं
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अपनी क़िस्मत के सितारे को कि बे नूर-सा है  
 
अपनी क़िस्मत के सितारे को कि बे नूर-सा है  
 
तोड़ कर अर्श से धरती पे गिरा देखूँ मैं  
 
तोड़ कर अर्श से धरती पे गिरा देखूँ मैं  
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आज गुलशन की हर इक शाख़ है फूलों से लदी
 
आज गुलशन की हर इक शाख़ है फूलों से लदी
 
दिल ए पज़मुर्दा को भी हँसता हुआ देखूँ मैं  
 
दिल ए पज़मुर्दा को भी हँसता हुआ देखूँ मैं  
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बे सतूँ पर कि किसी नज्द में क्या जाने रवि  
 
बे सतूँ पर कि किसी नज्द में क्या जाने रवि  
 
मुझे मिल जाए कहाँ मेरा पता देखूँ मैं  
 
मुझे मिल जाए कहाँ मेरा पता देखूँ मैं  
 
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15:40, 25 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण

तालिब ए दीद हूँ चेहरा तो दिखा, देखूँ मैं
दरमियाँ परदा है क्या, परदा उठा देखूँ मैं

मेरी रूदाद पे उस शोख़ की आँखें पुरनम
कैस ओ फ़रहाद का अफ़साना सुना देखूँ मैं

आ कभी तू मिरे आँगन में दुल्हन बनकर आ
तेरे हाथों पे लगा रंग ए हिना देखूँ मैं

कोई आहट तो हो टूटे मिरे ज़िन्दां का सकूत
चुप रहूँ, पाँव की ज़न्जीर हिला देखूँ मैं

अपनी क़िस्मत के सितारे को कि बे नूर-सा है
तोड़ कर अर्श से धरती पे गिरा देखूँ मैं

आज गुलशन की हर इक शाख़ है फूलों से लदी
दिल ए पज़मुर्दा को भी हँसता हुआ देखूँ मैं

बे सतूँ पर कि किसी नज्द में क्या जाने रवि
मुझे मिल जाए कहाँ मेरा पता देखूँ मैं