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"ज़ब्त किस इम्तहान तक पहुँचा / द्विजेन्द्र 'द्विज'" के अवतरणों में अंतर

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लौट आई परों में फिर जुम्बिश
 
लौट आई परों में फिर जुम्बिश
  
हौसला जब ज़बान तक पहुँचा  
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हौसला जब उड़ान तक पहुँचा  
  
  

06:49, 28 फ़रवरी 2012 का अवतरण

ज़ब्त किस इम्तहान तक पहुँचा

मेरा ग़म भी बयान तक पहुँचा


लौट आई परों में फिर जुम्बिश

हौसला जब उड़ान तक पहुँचा


अपनी आँखों में घर के ख़्वाब लिए

इक मुसाफ़िर मकान तक पहुँचा


तीर था तू जो मेरे तरकश का

कैसे उसकी कमान तक पहुँचा


उसकी ख़ुशबू हवाओं में फैली

जब सुख़न क़द्रदान तक पहुँचा


ये भी तो शे‘र का करिश्मा है

‘द्विज’ भी सारे जहान तक पहुँचा