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"दीपक विश्वास के / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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दीपक विश्वास के  
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'''दीपक विश्वास के'''
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आंखों में  
 
आंखों में  
 
कौंध रहे  
 
कौंध रहे  
 
सपने आकाश के  
 
सपने आकाश के  
 
आओ हम जला धरें   
 
आओ हम जला धरें   
दीपक विश्वास के  
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दीपक विश्वास के
सत्कर्मो  
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सत्कर्मों 
 
की बाती  
 
की बाती  
तेल भरें नेेह का  
+
तेल भरें नेह का  
 
अंधियारा दूर करे  
 
अंधियारा दूर करे  
 
हम अपने गेह का  
 
हम अपने गेह का  
 
पांवों में चुभें  नहीं  
 
पांवों में चुभें  नहीं  
कांटे संत्रास के  
+
कांटे संत्रास के
 +
 
दमक उठे  
 
दमक उठे  
 
मुन्डेरी  
 
मुन्डेरी  

21:25, 4 मार्च 2012 के समय का अवतरण

दीपक विश्वास के
 
आंखों में
कौंध रहे
सपने आकाश के
आओ हम जला धरें
दीपक विश्वास के
 
सत्कर्मों
की बाती
तेल भरें नेह का
अंधियारा दूर करे
हम अपने गेह का
पांवों में चुभें नहीं
कांटे संत्रास के
 
दमक उठे
मुन्डेरी
दमक उठे द्वार
सूरज भी
शीश झुका
स्वीकारे हार
जीवन की बगिया में
फूल खिलें आस के।