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"हाथ मेज के तले पसारे / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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हाथ मेज के तले पसारे  
 
हाथ मेज के तले पसारे  
बैठीं भ्रस्ट कुर्सियाँ  
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बैठीं भ्रष्ट कुर्सियाँ  
 
उत्पीडन की बढती जातीं  
 
उत्पीडन की बढती जातीं  
रोज-ब-रोेज अर्जियाँ  
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रोज-ब-रोज अर्जियाँ  
  
 
कई दशक से लम्बित वादों  
 
कई दशक से लम्बित वादों  
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कितने और फासले  
 
कितने और फासले  
 
अवलोकित हो रहीं प्रगति की  
 
अवलोकित हो रहीं प्रगति की  
फर्जी सारणियाँ बरसाती
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फर्जी सारणियाँ  
  
पानी के संग-संग   
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बरसाती पानी के संग-संग   
बही हजारेंा सड़कें  
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बही हजारों सड़कें  
 
लँगड़ी लूली हुयी व्यवस्था  
 
लँगड़ी लूली हुयी व्यवस्था  
 
निजी स्वार्थ में पड़ के  
 
निजी स्वार्थ में पड़ के  
सिक्के के बल पर अनुमोदित  
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सिक्कों के बल पर अनुमोदित  
 
होतीं पत्रावलियाँ  
 
होतीं पत्रावलियाँ  
  

21:15, 5 मार्च 2012 के समय का अवतरण

हाथ मेज के तले पसारे

हाथ मेज के तले पसारे
बैठीं भ्रष्ट कुर्सियाँ
उत्पीडन की बढती जातीं
रोज-ब-रोज अर्जियाँ

कई दशक से लम्बित वादों
के अनगिनत मामलें
बतलाते हैं बढे़ लक्ष्य से
कितने और फासले
अवलोकित हो रहीं प्रगति की
फर्जी सारणियाँ

बरसाती पानी के संग-संग
बही हजारों सड़कें
लँगड़ी लूली हुयी व्यवस्था
निजी स्वार्थ में पड़ के
सिक्कों के बल पर अनुमोदित
होतीं पत्रावलियाँ

कर्ज किसी का, नाम किसी के
दर्ज बैंक के खाते
बकरी -भेड़ लड़ी आपस में
थाने माल कमाते
खुरपी और कुदालों वाले
हाथों में हथकड़ियाँ