भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कट गए 'पर' उड़ान बाक़ी है / मनु भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Manubhardwaj (चर्चा | योगदान) ('{{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <Poem> कट गए 'प...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:53, 12 मार्च 2012 के समय का अवतरण
कट गए 'पर' उड़ान बाक़ी है
उस परिंदे में जान बाक़ी है
घाव तो सूख चुका है लेकिन
दिल पे अब भी निशान बाक़ी है
वक़्त ने होसला तो तोड़ दिया
मुहँ में अब भी ज़ुबान बाक़ी है
हम फ़क़ीरों के पास कुछ भी नहीं
आन बाक़ी है, शान बाक़ी है
मेरा सब कुछ तो बिक गया है 'मनु'
ये पुराना मकान बाक़ी है