भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आप तो बोलें मैं अगर चुप हूँ / मनु भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Manubhardwaj (चर्चा | योगदान) ('{{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <Poem> आप तो ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:57, 12 मार्च 2012 के समय का अवतरण
आप तो बोलें मैं अगर चुप हूँ
कुछ तो होगा जो सोचकर चुप हूँ
दरमियाँ किसलिए ये ख़ामोशी
तू उधर चुप है मैं इधर चुप हूँ
यूँ तो मुँह में ज़ुबान है मेरे
घर के हालात देखकर चुप हूँ
तुमको परवाह अब नहीं मेरी
मुझको मालूम है मगर चुप हूँ
इक ज़माने में मैं सिकन्दर था
वक़्त से आज हारकर चुप हूँ
वो ये कहता है ग़म बयान करूँ
इस ज़माने को क्या ख़बर चुप हूँ
मैं उड़ा था ग़रूर से ऐ 'मनु'
कट गए मेरे बालो-पर चुप हूँ