भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बयाँ मैं ये हकीकत कर रहा हूँ / मनु भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Manubhardwaj (चर्चा | योगदान) ('{{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <Poem> बयाँ म...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
04:06, 12 मार्च 2012 के समय का अवतरण
बयाँ मैं ये हकीकत कर रहा हूँ
मैं धीरे धीरे हर पल मर रहा हूँ
तुझे कमियाँ नज़र आतीं हैं मुझमें
मुझे लगता है मैं बेहतर रहा हूँ
ख़ुदा जाने मिलेंगी मंजिलें कब
मैं ख़ुद में हौसला तो भर रहा हूँ
नहीं अब ज़िन्दगी से कोई निस्बत
मैं आती मौत से भी डर रहा हूँ
ये बुत अब भी गवाही दे रहे हैं
मैं अपने वक़्त का आज़र रहा हूँ
'मनु' सबको बहाकर ले न जाएँ
मैं इन आँखों में आंसू भर रहा हूँ