"तुझे याद है पिछले साल / मनु भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर
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तुझे याद है पिछले साल | तुझे याद है पिछले साल | ||
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प्यार मुहब्बत सिर्फ कहानी, झूठे वो बेबाक इरादे | प्यार मुहब्बत सिर्फ कहानी, झूठे वो बेबाक इरादे | ||
अब इस दिल ने मान लिया है बस में अब हालात नहीं है | अब इस दिल ने मान लिया है बस में अब हालात नहीं है | ||
− | मैं भी तेरे साथ नहीं हूँ, तू भी मेरे साथ नहीं है | + | मैं भी तेरे साथ नहीं हूँ, तू भी मेरे साथ नहीं है</poem> |
04:16, 12 मार्च 2012 के समय का अवतरण
तुझे याद है पिछले साल
कितनी चाहत, कितनी उल्फत कितनी मुहब्बत हमने की थी
प्यार ख़ुदा है, प्यार वफ़ा है यही इबादत हमने की थी
और उन लम्हों में न जाने हमने कितने ख्वाब बुने थे
कितनी बातें की थीं हर पल. हर मौसम के फूल चुने थे
तुझे याद है पिछले साल
हम दोनी की इक सी बातें , वो बेलौस मुहब्बत के दिन
तुझको सब समझाने के दिन पूरी होती हसरत के दिन
टेलीफोन पर बातें करके, अक्सर रात बिताने के दिन
मेरे तुझे बुलाने के दिन, तेरे सिर्फ लजाने के दिन
तुझे याद है पिछले साल
देख नहीं सकते थे आँसू इक दूजे की आँखों में हम
हम दोनों को ये लगता था सदा रहेगा ये ही मौसम
कभी ज़माना नज़र लगता कभी गुज़ारिश कर लेते थे
जैसे तैसे हम दोनों हर मुश्किल राह गुज़र लेते थे
तुझे याद है पिछले साल
तेरा मुझसे मिलने आना, एक निशानी देके जाना
मुझसे भी कुछ वादे कसमें तेरा हंसके लेके जाना
और फिर जाके आने जाने के किस्से वापस दोहराना
आज मिले हम क्या क्या सोचा वापस बातों में बतलाना
तुझे याद है पिछले साल
तुझमें दुनिया क्या डर जागा, हुआ ज़माना तुझपे हावी
मैंने फिर भी आस न छोड़ी उम्मीदें थीं मुझपे हावी
बदले फिर हालात अचानक दुनिया भर की रस्म रवायत
तेरे आगे सिर्फ ज़माना, मेरे आगे सिर्फ मुहब्बत
काश न होता साल नया ये
माना अब वो साल नहीं है , दिल का वैसा हाल नहीं है
अब सोचें बदली बदली हैं, दिल है जुदा और ज़हन कहीं है
टेलीफोन पर बात नहीं अब, ना ही अब मिलते हैं अक्सर
सब कुछ बदला बदला सा है, सारे मौसम सारे मंज़र
काश न होता साल नया ये
बदली हर ख्वाइश इस दिल की, बदले तेरे सारे वादे
प्यार मुहब्बत सिर्फ कहानी, झूठे वो बेबाक इरादे
अब इस दिल ने मान लिया है बस में अब हालात नहीं है
मैं भी तेरे साथ नहीं हूँ, तू भी मेरे साथ नहीं है