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"ज़िन्दगी तनहा सफ़र की रात है / जाँ निसार अख़्तर" के अवतरणों में अंतर
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ज़िंदगी तनहा सफ़र की रात है
अपने–अपने हौसले की बात है
किस अकीदे की दुहाई दीजिए
हर अकीदा आज बेऔकात है
क्या पता पहुँचेंगे कब मंजिल तलक
घटते-बढ़ते फ़ासले का साथ है
अकीदा = श्रद्धा
बेऔकात = प्रतिष्ठाहीन