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"चीख़े मन का मोर / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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किसने जाना | किसने जाना | ||
कहाँ और कब | कहाँ और कब | ||
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जान गए भी | जान गए भी | ||
तो क्या होगा | तो क्या होगा | ||
− | समय बड़ा है चोर | + | समय बड़ा है चोर |
पास हमारे | पास हमारे | ||
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मुझको किसी ठिकाने | मुझको किसी ठिकाने | ||
− | + | मिलन हमारा | |
− | + | ले आयेगी | |
− | + | खुशियों की तब भोर | |
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13:35, 19 मार्च 2012 के समय का अवतरण
कोई अपना
छोड़ साथ यों
चला गया किस ओर
टप-टप-टप-टप
बरसे पानी
टूटा सपन सलोना
अंदर-अंदर
तिरता जाऊँ
भींगा कोना-कोना
चीख़ रहा है
पल-छिन छिन-पल
अपने मन का मोर
किसने जाना
कहाँ तलक
उड़ पाएगी गौरैया
किसने जाना
कहाँ और कब
मुड़ जाएगी नैया
जान गए भी
तो क्या होगा
समय बड़ा है चोर
पास हमारे
आओगे कब
साथी साथ निभाने
हाथ पकड़कर
ले चलना तब
मुझको किसी ठिकाने
मिलन हमारा
ले आयेगी
खुशियों की तब भोर