भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सूर्य हुआ लापता(हाइकु) / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(' १-धुंध ही धुंध<br> सूर्य हुआ लापता<br> रजनी रोई |<br><br> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

03:08, 23 मार्च 2012 का अवतरण


१-धुंध ही धुंध
सूर्य हुआ लापता
रजनी रोई |

२-कठिन होता
रचनात्मक कार्य
ध्वंस आसान |

३-माँ की ममता
यूँ कैसे हार जाती
बेटी न जने |

४-संहार मत
अपने स्वरुप को
माँ आने भी दे|

५-इतना बौना
कैसे हुआ आदमी
माँ-पा न भाएं |

६-नजदीकियाँ
सुख ही नहीं देती
तलखियाँ भी |

७-पूस की ठण्ड
अम्बर-धरा संग
मन उमंग |

८-मृत्यु के डर
जीना नहीं छोड़ते
कर्मठ व्यक्ति

९-वफ़ा का वादा
चाँद न भी निभाए
सूर्य मुस्काए |

१०-सूर्य की ऊष्मा
चाँद की शीतलता
धरा मुस्काई |

११-श्वेत चादर
ओढ़ कर सोई है
अम्बर झरे |