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"चन्दनमन (भूमिका) / रचना श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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वहाँ वात्सल्य का पितृगृह के प्रति कन्याओं के प्रेम का अछूता , अनूठा रूप बिखरा है । | वहाँ वात्सल्य का पितृगृह के प्रति कन्याओं के प्रेम का अछूता , अनूठा रूप बिखरा है । | ||
बेटा प्रवास में है (शायद शिक्षा प्राप्ति के लिए ) । | बेटा प्रवास में है (शायद शिक्षा प्राप्ति के लिए ) । |
21:41, 11 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
रचना श्रीवास्तव की हाइकु-दुनिया इन सबसे अलग रंगों की पिटारी से भरी है ।
वहाँ वात्सल्य का पितृगृह के प्रति कन्याओं के प्रेम का अछूता , अनूठा रूप बिखरा है ।
बेटा प्रवास में है (शायद शिक्षा प्राप्ति के लिए ) ।
माँ की ममता घर में हर उस चीज़ को दुलारती है जो उसके बेटे की है-
बेटे का कोट
रोज़ धूप दिखाती
प्रतीक्षा में माँ’
बेटी अपने पितृगृह में है, उसे भविष्य का ज्ञान है कि कहीं दूर उसे अपना घरौंदा बसाना है,उड़ जाना है । आज की ज्वलन्त समस्या -प्रतिभा-पलायन से उत्पन्न उन माता-पिताओं की है जो बुढ़ापे की असह्य वेदना अकेले भुगतने को मज़बूर हैं-
डॉलर छीने
बेसहारा की लाठी
सूना आँगन