भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हाइकु / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
याद किसी की-- | याद किसी की-- | ||
</poem> | </poem> | ||
− | हिन्दी में [[हाइकु]] | + | हिन्दी में [[हाइकु]] हाइकु के सफल प्रयोग का श्रेय [[अज्ञेय]] को दिया जाता है, उन्होंने छठे दशक (१९६०) में [[अरी ओ करुणा प्रभामय / अज्ञेय|अरी ओ करुणा प्रभामय]] (१९५९) में अनेक हाइकुनुमा छोटी कविताएँ लिखी हैं जो [[हाइकु]] के बहुत निकट हैं। |
+ | जिन पर अब भी लगातार शोध जारी है। |
09:47, 11 मई 2012 के समय का अवतरण
याद
(1)
कैसे कहूँ कि
किसकी याद आई?
चाहे तड़पा गई।
(2)
याद उमस
एकाएक घिरे बादल में
कौंध जगमगा गई।
(3)
भोर की प्रथम किरण फीकी :
अनजाने जागी हो
याद किसी की--
हिन्दी में हाइकु हाइकु के सफल प्रयोग का श्रेय अज्ञेय को दिया जाता है, उन्होंने छठे दशक (१९६०) में अरी ओ करुणा प्रभामय (१९५९) में अनेक हाइकुनुमा छोटी कविताएँ लिखी हैं जो हाइकु के बहुत निकट हैं। जिन पर अब भी लगातार शोध जारी है।