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13:48, 24 मई 2012 के समय का अवतरण
मेरे कंधों पर कोई चेहरा नहीं है इस वक्त
नहीं है कनपटियों को छूती कोई गर्म सांस
हाथ नहीं है कोई भरोसेमंद मेरी पीठ पर
मेरी परेशानी से परेशाँ नहीं है कोई
मेरे बारे में कोई कुछ सोच नहीं रहा
इस वक्त
पूरी दुनिया में मैं कहीं नहीं हूँ ।
1988