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"हमारे सिवा इसका रस कौन जाने ! / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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12:50, 30 सितम्बर 2007 के समय का अवतरण


वो अपनों की बातें, वो अपनों की ख़ु-बू

हमारी ही हिन्दी, हमारी ही उर्दू !


ये कोयल‍‌‌‍-ओ- बुलबुल के मीठे तराने :

हमारे सिवा इसका रस कौन जाने !