भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तलाशी / पंकज सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=आहटें आसपास / पंकज सिंह | |संग्रह=आहटें आसपास / पंकज सिंह | ||
}} | }} | ||
− | + | <poem> | |
वे घर की तलाशी लेते हैं | वे घर की तलाशी लेते हैं | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
(रचनाकाल:1976) | (रचनाकाल:1976) | ||
+ | </poem> |
10:53, 11 जून 2012 के समय का अवतरण
वे घर की तलाशी लेते हैं
वे पूछते हैं तुमसे तुम्हारे भगोड़े बेटे का पता-ठिकाना
तुम मुस्कुराती हो नदियों की चमकती मुस्कान
तुम्हारा चेहरा दिए की एक ज़िद्दी लौ-सा दिखता है
निष्कम्प और शुभदा
(रचनाकाल:1976)