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मकानों, कहवाघरों और पास-पड़ोस का परिवेश
 
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जिसे मैंने देखा और
 
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सालों-साल
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जिससे होकर गुज़रा :
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मैंने तुम्हें सिरजा अपनी ख़ुशी
 
मैंने तुम्हें सिरजा अपनी ख़ुशी
अपनी उदासी के दौरान
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बहुत सारी घटनाओं से
 
बहुत सारी घटनाओं से
बहुत-से ब्योरों से
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और अब तुम-सब
 
और अब तुम-सब

14:41, 2 जुलाई 2012 के समय का अवतरण

मकानों, कहवाघरों और पास-पड़ोस का परिवेश
जिसे मैंने देखा और
          सालों-साल
          जिससे होकर गुज़रा :

मैंने तुम्हें सिरजा अपनी ख़ुशी
          अपनी उदासी के दौरान
बहुत सारी घटनाओं से
          बहुत-से ब्योरों से

और अब तुम-सब
मेरे लिए अनुभूति में बदल गए हो ।
 
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल