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"सम्पति सुमेर की कुबेर की जो पावै ताहि / पद्माकर" के अवतरणों में अंतर

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सम्पति सुमेर की कुबेर की जो पावै ताहि ,
               तुरंत लुटावत बिलम्ब उर धारै ना .
कहै ‘पदमाकर’ सुहेम हय हाथिन के ,
               हल्के हजारन के बितऋ बिचारे ना .
दीन्हें गज बकस महीप रघुनाथ राव ,
                पाय गज धोखे कहूँ काहू देइ डारै ना .
याही डर गिरजा गजानन को गोय रही ,
                 गिरतें गरेतें निज गोद से उतारे ना .