भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ता दिन अखिल खलभलै खल खलक में / भूषण" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भूषण }} ता दिन अखिल खलभलै खल खलक मे...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:34, 28 अगस्त 2012 का अवतरण
ता दिन अखिल खलभलै खल खलक में,
जा दिन सिवाजी गाजी नेक करखत हैं .
सुनत नगारन अगार तजि अरिन की ,
दागरन भाजत न बार परखत हैं .
छूटे बार बार छूटे बारन ते लाल ,
देखि भूषण सुकवि बरनत हरखत हैं .
क्यों न उत्पात होहिं बैरिन के झुण्डन में,
करे घन उमरि अंगारे बरखत हैं .