भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुम्हारे अंधेरों को / संगीता गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संगीता गुप्ता |संग्रह=प्रतिनाद / ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
तूम्हारे अँधेरो को | तूम्हारे अँधेरो को | ||
− | + | रोशनी मिले | |
घर, मन | घर, मन | ||
सब जलाया | सब जलाया |
16:28, 29 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
तूम्हारे अँधेरो को
रोशनी मिले
घर, मन
सब जलाया
मेरा हासिल तो बस
मुट्ठी भर राख
ढूँढ़ती
एक नदी
जिसे सौंप दूँ
अपना हासिल
यह मुट्ठी भर राख
और मुक्त हो जाऊँ