भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मार्ग कैसा भी बीहड़ आये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=तिलक करें ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

05:30, 30 अगस्त 2012 के समय का अवतरण


मार्ग कैसा भी बीहड़ आये
'छोड़ेगा न मुझे तू' मन से यह विश्वास न जाये

जब निज गति पर भी हो संशय
फिर-फिर हो खो जाने का भय
देखूँ तब तुझको, करुनामय !
दोनों हाथ उठाये

ज्यों शिशु दूर कहीं भी खेले
माँ सुन रुदन गोद में ले ले
वैसे ही तू मुझे अकेले जग में
पल न भुलाये

जब इस पथ से नाता टूटे
जो तिल-तिल जोड़ा सब छूटे
तब भी मन की शांति न लूटे
काल न मुझे डराये

मार्ग कैसा भी बीहड़ आये
'छोड़ेगा न मुझे तू' मन से यह विश्वास न जाये