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jab nav jal main chod chhod di,
toofan main hi mod di,
de di chunoti chunauti sindhu ko
phir dhar kya majhdhar kya..
e-mail roughsoul@gmail.com
== मेरे आशियाने में है , आशियाना ये किसका ? ==एक आस लगाये बैठा हूँ |
"एक दिन एक इंसान ने ,देखा आशियाना एक परिंदे का अपने आशियाने में ,,वो बोला उस परिंदे दुःख से ,मेरे आशियाने में मिला घाब है , आशियाना ये किसका ,"एक दिन एक इंसान ने ,पर मरहम लगाने बैठा हूँसाफ दिख रहा है , मुझे फसाना उसका ,अँधियारा आया तो काया हुआदेखा आशियाना एक परिंदे का अपने आशियाने रौशनी के इंतजार में ,,बैठा हूँवो बोला उस परिंदे से ,अपनों ने ठगा तो क्या हुआमेरे आशियाने में है , आशियाना ये किसका ,फिर भी हमराही बनकर बैठा हूँसाफ दिख रहा है , मुझे फसाना उसका ,एक गलती हुई तो क्या हुआकभी इधर , कभी उधर ,उसे सुधारने बैठा हूँतकते नयना जाने किधर ,एक आस लगाये बैठा हूँ |
सुना परिंदे ने इस बात को ,रह सका न खामोश वो ,सुनाई कुछ इस तरह अपनी दश्तान को ,,,वो बोला ,,ठंडी हवा से सुकून लेके ,धरा से जीवन आसमां से पानी ,था नीला समंदर वो ,और पेड़ो से थी हरियाली ,,बस यही तो थी हमारी कहानी ,,,दूर जाता दिखता है उधर ,कुए का पानी बिकता है किधर ,नीला समुन्द्र रहा न अब नीला ,धानी रंग बचा न अब पूरा ,आश्मां ने भी बदल लिए अपने रंग हैं जाने किस बात का हो गया है असर ,पेड़ो पर से उठ गया हैं ठिकाना ,इंसानों ने जो काट के पेड़ो को ,अपना घर है जो बनाया ,जब मिला न हमें कही भी ठिकाना तभी तो हमने भी तेरे आशियाने को अपना आशियाना है बनाया ,== Jindagi ==
सुनकर उस परिंदे की दस्ता Safar me hum the,हो गया भावुक इन्सान वो ,Magar koi humrahai na tha.और सोचने लगा मन ही मन वो jindagi jee rahe the,दोष नहीं है इसका कोई ,Magar koi jeene ka maqsad na tha.भोग रहा हैं हमारी ही गलतियों का नतीजा बेजुबान ये ........M Khan(mofeeque@gmail."'''मोटा पाठ'''com)
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