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"जगत विदित बैद्यनाथ / विद्यापति" के अवतरणों में अंतर

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तोहें प्रभु त्रिभुवन नाथ, दया कर सागर हे !
 
तोहें प्रभु त्रिभुवन नाथ, दया कर सागर हे !
  
अंग भसम शिर अंग, गले बिच विषधर हे !
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अंग भसम सिर अंग, गले बिच विषधर हे !
 
लोचन लाल विशाल, भाल बिच शशिधर हे !
 
लोचन लाल विशाल, भाल बिच शशिधर हे !
  
 
जानि शरण दीनबन्धु, शरण धय रहलहूँ हे !
 
जानि शरण दीनबन्धु, शरण धय रहलहूँ हे !
 
दया करू मम प्रतिपाल, अगम जल पड़लहूँ हे !
 
दया करू मम प्रतिपाल, अगम जल पड़लहूँ हे !

19:25, 26 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण


जगत विदित बैद्यनाथ, सकल गुण आगर हे !
तोहें प्रभु त्रिभुवन नाथ, दया कर सागर हे !

अंग भसम सिर अंग, गले बिच विषधर हे !
लोचन लाल विशाल, भाल बिच शशिधर हे !

जानि शरण दीनबन्धु, शरण धय रहलहूँ हे !
दया करू मम प्रतिपाल, अगम जल पड़लहूँ हे !