भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कोशिश करने वालों की हार नहीं होती / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
इस रचना के रचनाकार के बारे में मतभेद है। कुछ लोग इसे [[सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"]] जी की रचना बताते हैं और कुछ [[हरिवंशराय बच्चन]] जी की। यदि आपके पास इस दुविधा को दूर करने के लिये इस बारे में कोई प्रमाण हो तो कृपया kavitakosh@gmail.com पर सूचना दें। -- [[कविता कोश टीम]]
 
 
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
 
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
 
}}
 
}}
 +
<poem>
 +
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
 +
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
  
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,<br>
+
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।<br><br>
+
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
 
+
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,<br>
+
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।<br>
+
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,<br>
+
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।<br>
+
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,<br>
+
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।<br><br>
+
  
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,<br>
+
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।<br>
+
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,<br>
+
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।<br>
+
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,<br>
+
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।<br><br>
+
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
  
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो,<br>
+
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।<br>
+
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,<br>
+
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम।<br>
+
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,<br>
+
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।<br><br>
+
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
 +
</poem>

10:20, 5 अक्टूबर 2012 का अवतरण

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती