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"छलिया है वो( हाइकु) /रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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20:57, 25 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण

१-बर्फीला मन
ठिठुरते सपने
ऊष्मा रहित |

२- देख -समझ
सुन्दरता में न जा
छलिया है वो |

३-स्नेह -तलाश
सपने हुए ख़ाक
फूलों में आग |

४-उपाय कर
तमस भरा मन
उज्ज्वल कर |