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"मानव इतिहास / महेश रामजियावन" के अवतरणों में अंतर
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17:54, 10 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण
मानव इतिहास
मनुष्य द्वारा लिखी
पूरे इतिहास की
बहुत सारी किताबें पढ़ जाने के बाद
पता नहीं क्यों ऐसा लगता है
इतिहास का अधुरापन
मानव इतिहास…
संस्कृति का इतिहास…
संगीत…
कला…
बहुत सारी अक्षरों
शब्दों
वाक्यों
अनुच्छेदों
अध्यायों
ग्रन्थों, पोथाओं
और पुस्तकालयों के होते हुए भी
शेप रह जाता है
अन्लिखा इतिहास
बच जाता है
कई पक्के इतिहास के पन्नों का लिखा जाना
पढ़ने के लिए
गढ़ने के लिए
पढ़ाने के लिए…
जैसे इतिहास की चिता जल जाने के बाद
शब्दों की राख
सशेप रह जाते हैं
कहीं कागजों में अंकित होने के लिये…