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"यारी के घर दूर / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

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{{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी |

यारी के घर दूर-दूर हैं, यारी के घर दूर |
रस्ते में खड्डे हैं गहरे, पड़े से चकनाचूर || यारी...
मंजिल यारी की जो चावे, संत शरण में वह नर आवे,
शरणागत की लज्जा राखें, मंजिल मिले जरुर || यारी...
अनगिनती नर मरे मर गये, देखा रस्ता यार डर गये,
यार की मंजिल प्यार से पाई, चमका उनका नूर || यारी...
कई एक झूठे कायर डोलें, शुरू शुरू में प्यार से बोले,
स्वारथ रत बेईमानों के सिर, पड़ जाती है धूर || यारी...
कहे शिवदीन राम भज अंधे, सच्चे मंजिल पाये बन्दे,
झूटे मजनूं बन-बन डोले, करते बहुत गरूर || यारी...