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"मौत की घड़ी / अनिरुद्ध उमट" के अवतरणों में अंतर
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पिता और पुत्र के मध्य से
वह किसी साँप-सी
गुज़र जाएगी
दोनों उस गुज़र जाने की
लकीर को
सिहरते देखेंगे
एक-दूसरे की आँखों में
फिर एक-दूसरे के कन्धे पर
सिर रख सो जाएँगे