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"आता है याद मुझ को गुज़रा हुआ ज़माना / इक़बाल" के अवतरणों में अंतर

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वो बाग़ की बहारें वो सब क चह-चहाना
 
वो बाग़ की बहारें वो सब क चह-चहाना
  
आज़ादियाँ कहाँ वो अब अपने घोँसले की
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आज़ादियाँ कहाँ वो अब अपने घोसले की
 
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना
 
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना
  

20:23, 25 फ़रवरी 2013 का अवतरण

आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना
वो बाग़ की बहारें वो सब क चह-चहाना

आज़ादियाँ कहाँ वो अब अपने घोसले की
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना

लगती हो चोट दिल पर, आता है याद जिस दम
शबनम के आँसूओं पर कलियों का मुस्कुराना

वो प्यारी-प्यारी सूरत, वो कामिनी-सी मूरत
आबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना