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सम्भावनाएँ / अज्ञेय

3 bytes removed, 06:35, 22 मार्च 2013
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अब आप हीं सोचिये कि कितनी सम्भावनाएं सम्भावनाएँ हैं
कि मैं आप पर हँसूं और आप मुझे पागल करार दे दें.
याकि आप मुझ पर हँसें और आप हीं मुझे पागल करार दे दें.
कि मैं कहना क्या चाहता हूँ?
क्यूँकि पागल न तो आप हैं और न मैं
बात केवल क़रार करार दिये जाने की है.
या हाँ कभी गिरफ्तार किये जाने की है.
तो क्या किया जाए?
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