भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरा देश बड़ा गर्वीला / गोपाल सिंह नेपाली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली .
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली
नीले नभ में बादल काले, हरियाली में सरसों पीली.
+
नीले नभ में बादल काले, हरियाली में सरसों पीली
  
यमुना-तीर,घाट गंगा के, तीर्थ-तीर्थ में बाट छाँव की  
+
यमुना-तीर, घाट गंगा के, तीर्थ-तीर्थ में बाट छाँव की  
सदियों से चल रहे अनूठे, ठाठ गांव के,हाट गाँव की.
+
सदियों से चल रहे अनूठे, ठाठ गाँव के,हाट गाँव की
 
                                      
 
                                      
शहरों को गोदी में लेकर, चली गाँव की डर नुकीली.
+
शहरों को गोदी में लेकर, चली गाँव की डगर नुकीली
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली
  
खडी-खड़ी फुलवारी फूले, हार पिरोये बैठ गुजरिया.
+
खडी-खड़ी फुलवारी फूले, हार पिरोए बैठ गुजरिया
बरसाए जलधार बदरिया, भीगे जग की हरी चदरिया.
+
बरसाए जलधार बदरिया, भीगे जग की हरी चदरिया
  
तृण पर शबनम,तरु पर जुगनू, नीड़ रचाए तीली-तीली.
+
तृण पर शबनम, तरु पर जुगनू, नीड़ रचाए तीली-तीली
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली
  
घास-फूस की खड़ी झोपड़ी, लाज सम्भाले जीवन भर की.
+
घास-फूस की खड़ी झोपड़ी, लाज सम्भाले जीवन-भर की
कुटीया में मिट्टी के दीपक, मंदिर में प्रतिमा पत्थर की.
+
कुटिया में मिट्टी के दीपक, मंदिर में प्रतिमा पत्थर की
  
जहां बांस कंकड़ में हरि का, वहाँ नहीं चांदी चमकीली  
+
जहाँ बाँस कँकड़ में हरि का, वहाँ नहीं चाँदी चमकीली
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली
  
जो कमला के चरण पखारे,होता है वह कमल कीच में.
+
जो कमला के चरण पखारे, होता है वह कमल-कीच में
तृण,तंदुल,ताम्बूल,ताम्र, तिल के दीपक बीच-बीच में.
+
तृण, तंदुल, ताम्बूल, ताम्र, तिल के दीपक बीच-बीच में
  
सीधी-सदी पूजा अपनी, भक्ति लजीली मूर्ति सजीली.
+
सीधी-सदी पूजा अपनी, भक्ति लजीली मूर्ति सजीली
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली
  
बरस-बरस पर आती होली रंगों का त्यौहार अनोखा  
+
बरस-बरस पर आती होली, रंगों का त्यौहार अनोखा  
चुनरी इधर-उधर पिचकारी, गाल भाल पर कुमकुम फूटा.
+
चुनरी इधर-उधर पिचकारी, गाल-भाल पर कुमकुम फूटा
  
लाल-लाल बन जाए काले, गोरी सूरत पीली नीली.
+
लाल-लाल बन जाए काले, गोरी सूरत पीली-नीली
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली .
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली
  
दिवाली दीपों का मेला,झिलमिल महल कुटी गलियारे.
+
दिवाली -- दीपों का मेला, झिलमिल महल-कुटी-गलियारे
भारत भर में उतने दीपक, जितने जलते नभ में तारे.
+
भारत-भर में उतने दीपक, जितने जलते नभ में तारे
  
सारी रात पटाखे छोडे, नटखट बालक उम्र हठीली.
+
सारी रात पटाखे छोडे, नटखट बालक उम्र हठीली
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली
 
   
 
   
खंडहर में इतिहास सुरक्षित,नगर-नगर में नई रौशनी.
+
खंडहर में इतिहास सुरक्षित, नगर-नगर में नई रौशनी
आए गए हुए परदेशी,यहाँ अभी भी वही चांदनी.
+
आए-गए हुए परदेशी, यहाँ अभी भी वही चाँदनी ।
  
अपना बना हजम कर लेती, चाल यहाँ की ढीली-ढीली.
+
अपना बना हजम कर लेती, चाल यहाँ की ढीली-ढीली
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली
  
मन में राम,बाल में गीता, घर-घर आदर रामायण का.
+
मन में राम, बाल में गीता, घर-घर आदर रामायण का
किसी वंश का कोई मानव, अंश साझते नारायण का.
+
किसी वंश का कोई मानव, अंश साझते नारायण का
 
   
 
   
ऐसे हैं बहरत के वासी,गात गठीला,बाट चुटीली.
+
ऐसे हैं बहरत के वासी, गात गठीला, बाट चुटीली
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली
  
आन कठिन भारत की लेकिन,नर नारी का सरल देश है  
+
आन कठिन भारत की लेकिन, नर-नारी का सरल देश है
देश और भी हैं दुनिया में,पर गाँधी का यही देश है,
+
देश और भी हैं दुनिया में, पर गाँधी का यही देश है
  
जहाँ राम की जय अजग बोला,बजी श्याम की वेणु सुरीली.
+
जहाँ राम की जय अजग बोला, बजी श्याम की वेणु सुरीली
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति- रसम- ऋतुरंग- रंगीली.
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति- रसम- ऋतुरंग- रंगीली
  
लो गंगा-यमुना-सरस्वती या लो मदिर-मस्जिद-गिरजा.
+
लो गंगा-यमुना-सरस्वती या लो मदिर-मस्जिद-गिरजा
ब्रह्मा-विष्णु-महेश भजो या जीवन-मरण-मोक्ष की चर्चा.
+
ब्रह्मा-विष्णु-महेश भजो या जीवन-मरण-मोक्ष की चर्चा
 
+
सबका यहीं त्रिवेणी-संगम,ज्ञान गहनतम, कला रसीली.
+
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.
+
  
 +
सबका यहीं त्रिवेणी-संगम, ज्ञान गहनतम, कला रसीली ।
 +
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।
 
</poem>
 
</poem>

11:51, 1 अप्रैल 2013 का अवतरण

मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।
नीले नभ में बादल काले, हरियाली में सरसों पीली ।

यमुना-तीर, घाट गंगा के, तीर्थ-तीर्थ में बाट छाँव की
सदियों से चल रहे अनूठे, ठाठ गाँव के,हाट गाँव की ।
                                    
शहरों को गोदी में लेकर, चली गाँव की डगर नुकीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

खडी-खड़ी फुलवारी फूले, हार पिरोए बैठ गुजरिया ।
बरसाए जलधार बदरिया, भीगे जग की हरी चदरिया ।

तृण पर शबनम, तरु पर जुगनू, नीड़ रचाए तीली-तीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

घास-फूस की खड़ी झोपड़ी, लाज सम्भाले जीवन-भर की ।
कुटिया में मिट्टी के दीपक, मंदिर में प्रतिमा पत्थर की ।

जहाँ बाँस कँकड़ में हरि का, वहाँ नहीं चाँदी चमकीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

जो कमला के चरण पखारे, होता है वह कमल-कीच में ।
तृण, तंदुल, ताम्बूल, ताम्र, तिल के दीपक बीच-बीच में ।

सीधी-सदी पूजा अपनी, भक्ति लजीली मूर्ति सजीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

बरस-बरस पर आती होली, रंगों का त्यौहार अनोखा
चुनरी इधर-उधर पिचकारी, गाल-भाल पर कुमकुम फूटा ।

लाल-लाल बन जाए काले, गोरी सूरत पीली-नीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

दिवाली -- दीपों का मेला, झिलमिल महल-कुटी-गलियारे ।
भारत-भर में उतने दीपक, जितने जलते नभ में तारे ।

सारी रात पटाखे छोडे, नटखट बालक उम्र हठीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।
 
खंडहर में इतिहास सुरक्षित, नगर-नगर में नई रौशनी ।
आए-गए हुए परदेशी, यहाँ अभी भी वही चाँदनी ।

अपना बना हजम कर लेती, चाल यहाँ की ढीली-ढीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

मन में राम, बाल में गीता, घर-घर आदर रामायण का ।
किसी वंश का कोई मानव, अंश साझते नारायण का ।
 
ऐसे हैं बहरत के वासी, गात गठीला, बाट चुटीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।

आन कठिन भारत की लेकिन, नर-नारी का सरल देश है ।
देश और भी हैं दुनिया में, पर गाँधी का यही देश है ।

जहाँ राम की जय अजग बोला, बजी श्याम की वेणु सुरीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति- रसम- ऋतुरंग- रंगीली ।

लो गंगा-यमुना-सरस्वती या लो मदिर-मस्जिद-गिरजा ।
ब्रह्मा-विष्णु-महेश भजो या जीवन-मरण-मोक्ष की चर्चा ।

सबका यहीं त्रिवेणी-संगम, ज्ञान गहनतम, कला रसीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।