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"और का और मेरा दिन / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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दिन है
 
दिन है
 
 
     किसी और का  
 
     किसी और का  
 
 
     सोना का हिरन,  
 
     सोना का हिरन,  
 
 
मेरा है  
 
मेरा है  
 
 
भैंस की खाल का  
 
भैंस की खाल का  
 
 
मरा दिन ।  
 
मरा दिन ।  
 
 
यही कहता है  
 
यही कहता है  
 
 
     वृद्ध रामदहिन  
 
     वृद्ध रामदहिन  
 
 
     यही कहती है  
 
     यही कहती है  
 
 
उसकी धरैतिन,  
 
उसकी धरैतिन,  
 
 
जब से  
 
जब से  
 
 
     चल बसा  
 
     चल बसा  
 
 
     उनका लाड़ला ।
 
     उनका लाड़ला ।

09:28, 7 अप्रैल 2013 का अवतरण

दिन है
    किसी और का
    सोना का हिरन,
मेरा है
भैंस की खाल का
मरा दिन ।
यही कहता है
    वृद्ध रामदहिन
    यही कहती है
उसकी धरैतिन,
जब से
    चल बसा
    उनका लाड़ला ।