भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे / हिन्दी लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=हिन्दी }} <...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:04, 9 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे बाबा खड़े रोवें
दादी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,

दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे पापा खड़े रोवें
मम्मी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,

दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे जीजा खड़े रोवें
दीदी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,

दो हँसों की गाड़ी तैयार खड़ी रे -२
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,
मण्डप के नीचे भईया खड़े रोवें
भाभी रानी से मुखड़ा मोड़ चली रे
आज मेरी बन्नी ससुराल चली रे,