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"चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में सजन घर जाना है / हिन्दी लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

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चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में  
 
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में  
सज्जन घर जाना है -२   
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सजन घर जाना है -२   
 
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कैसे चलु साजन के घर ओ कहार -२
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दादा जी खड़े आंगन में लाज-शर्म मुझे आती है
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ताऊ जी खड़े आंगन में लाज-शर्म मुझे आती है
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कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२
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दादा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
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ताऊ जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
 
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में  
 
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में  
सज्जन घर जाना है-२
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सजन घर जाना है-२
 
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कैसे चलु साजन के घर ओ कहार -२
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पापा जी खड़े आंगन में लाज-शर्म मुझे आती है
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चाचा जी खड़े आंगन में लाज-शर्म मुझे आती है
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कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२
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पापा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
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चाचा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
 
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में  
 
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में  
सज्जन घर जाना है -२   
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सजन घर जाना है -२   
 
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कैसे चलु साजन के घर ओ कहार -२
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फूफा जी खड़े आंगन में लाज-शर्म मुझे आती है
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मामा जी खड़े आंगन में लाज-शर्म मुझे आती है
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कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२
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फूफा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
 +
मामा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
 
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में  
 
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में  
सज्जन घर जाना है -२
+
सजन घर जाना है -२

11:17, 18 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में
सजन घर जाना है -२

कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२
दादा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
ताऊ जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में
सजन घर जाना है-२

कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२
पापा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
चाचा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में
सजन घर जाना है -२

कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२
फूफा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
मामा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में
सजन घर जाना है -२