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"और हंसो.... / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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06:12, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

जरूरी है
हवा का चलना
दिन का ढलना
मैसम का बदलना

जरूरी है
शब्द का आना
गीत का गुनगुनाना
कवि का फुसफुसाना

जरूरी नहीं है
बच्चे का तितली पकड़ पाना
आप कहे रुको तो रुकना....
और हंसो.....।