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"तुम / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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06:49, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

जपता हूं मैं
नाम तुम्हारा
या जपती है देह
नाम तुम्हारा?

तुम नदी हो या सागर
मैं बुला रहा हूं तुम्हें
या तुम ही आ रही हो दौड़ती हुई
मेरे पास....
·हीं ऐसा तो नहीं
·ि बुलाती हो तुम
और दौड़ रहा हूं मैं!

खैर जो भी हो
मिलना तो तय है-
हमारा!