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"बहुत कुछ कहाइल / पाण्डेय कपिल" के अवतरणों में अंतर

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पहुँचली जबे हम उहाँ पर धधाइल
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बताईं ना, कइसे ऊ मन से हटाईं
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सहज रूप उनकर जे मन में समाइल
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कहाँ बाटे फुर्सत की सोचत करीं हम
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इहाँ रोजी-रोटी के दँवरी नधाइल.

14:29, 30 जून 2013 के समय का अवतरण

बहुत कुछ कहाइल,बहुत कुछ लिखाइल
मगर बात मन के कबो न ओराइल

लिखाइल भले बात हिरदय से अपना
मगर ऊ लिखलका कबो न पढ़ाइल

हमरा देक्ज के ऊ नज़र फेर लिहले
पहुँचली जबे हम उहाँ पर धधाइल

बताईं ना, कइसे ऊ मन से हटाईं
सहज रूप उनकर जे मन में समाइल

कहाँ बाटे फुर्सत की सोचत करीं हम
इहाँ रोजी-रोटी के दँवरी नधाइल.