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"शाख़ पर एक फूल भी है / कुँअर बेचैन" के अवतरणों में अंतर
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− | है समय प्रतिकूल माना | + | है समय प्रतिकूल माना |
− | पर समय अनुकूल भी है। | + | पर समय अनुकूल भी है। |
− | शाख पर इक फूल भी है॥ | + | शाख पर इक फूल भी है॥ |
− | घन तिमिर में इक दिये की | + | घन तिमिर में इक दिये की |
− | टिमटिमाहट भी बहुत है | + | टिमटिमाहट भी बहुत है |
− | एक सूने द्वार पर | + | एक सूने द्वार पर |
− | बेजान आहट भी बहुत है | + | बेजान आहट भी बहुत है |
− | लाख भंवरें हों नदी में | + | लाख भंवरें हों नदी में |
− | पर कहीं पर कूल भी है। | + | पर कहीं पर कूल भी है। |
− | शाख पर इक फूल भी है॥ | + | शाख पर इक फूल भी है॥ |
− | विरह-पल है पर इसी में | + | विरह-पल है पर इसी में |
− | एक मीठा गान भी है | + | एक मीठा गान भी है |
− | मरुस्थलों में रेत भी है | + | मरुस्थलों में रेत भी है |
− | और नखलिस्तान भी है | + | और नखलिस्तान भी है |
− | साथ में ठंडी हवा के | + | साथ में ठंडी हवा के |
− | मानता हूं धूल भी है। | + | मानता हूं धूल भी है। |
− | शाख पर इक फूल भी है॥ | + | शाख पर इक फूल भी है॥ |
− | है परम सौभाग्य अपना | + | है परम सौभाग्य अपना |
− | अधर पर यह प्यास तो है | + | अधर पर यह प्यास तो है |
− | है मिलन माना अनिश्चित | + | है मिलन माना अनिश्चित |
− | पर मिलन की आस तो है | + | पर मिलन की आस तो है |
− | प्यार इक वरदान भी है | + | प्यार इक वरदान भी है |
− | प्यार माना भूल भी है। | + | प्यार माना भूल भी है। |
− | शाख पर इक फूल भी है॥ | + | शाख पर इक फूल भी है॥ |
10:02, 1 जुलाई 2013 का अवतरण
{{KKCatKavita}
है समय प्रतिकूल माना
पर समय अनुकूल भी है।
शाख पर इक फूल भी है॥
घन तिमिर में इक दिये की
टिमटिमाहट भी बहुत है
एक सूने द्वार पर
बेजान आहट भी बहुत है
लाख भंवरें हों नदी में
पर कहीं पर कूल भी है।
शाख पर इक फूल भी है॥
विरह-पल है पर इसी में
एक मीठा गान भी है
मरुस्थलों में रेत भी है
और नखलिस्तान भी है
साथ में ठंडी हवा के
मानता हूं धूल भी है।
शाख पर इक फूल भी है॥
है परम सौभाग्य अपना
अधर पर यह प्यास तो है
है मिलन माना अनिश्चित
पर मिलन की आस तो है
प्यार इक वरदान भी है
प्यार माना भूल भी है।
शाख पर इक फूल भी है॥