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"दिन से लंबा ख़ालीपन / कुँअर बेचैन" के अवतरणों में अंतर
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नींदें तो | नींदें तो | ||
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रातों से लंबी | रातों से लंबी | ||
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दिन से लंबा ख़ालीपन | दिन से लंबा ख़ालीपन | ||
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अब क्या होगा मेरे मन? | अब क्या होगा मेरे मन? | ||
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मन की मीन | मन की मीन | ||
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नयन की नौका | नयन की नौका | ||
− | |||
जब भी चाहे | जब भी चाहे | ||
− | |||
बीती-अनबीती बातों में | बीती-अनबीती बातों में | ||
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डूबे-उतराए | डूबे-उतराए | ||
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निष्ठुर तट ने | निष्ठुर तट ने | ||
− | |||
तोड़ दिए हैं | तोड़ दिए हैं | ||
− | |||
बर्तुल लहरों के कंगन। | बर्तुल लहरों के कंगन। | ||
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अब क्या होगा मेरे मन? | अब क्या होगा मेरे मन? | ||
− | |||
जितनी साँसें | जितनी साँसें | ||
− | |||
रहन रखी थीं | रहन रखी थीं | ||
− | |||
भोले जीवन ने | भोले जीवन ने | ||
− | |||
एक-एक कर | एक-एक कर | ||
− | |||
छीनीं सारी | छीनीं सारी | ||
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अश्रु-महाजन ने | अश्रु-महाजन ने | ||
− | |||
लुटा हाट में | लुटा हाट में | ||
− | |||
इस दुनिया की, | इस दुनिया की, | ||
− | |||
प्राणों का मधुमय कंचन। | प्राणों का मधुमय कंचन। | ||
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अब क्या होगा मेरे मन।। | अब क्या होगा मेरे मन।। | ||
'''''-- यह कविता [[Dr.Bhawna Kunwar]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br><br>''''' | '''''-- यह कविता [[Dr.Bhawna Kunwar]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br><br>''''' |
10:38, 1 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
नींदें तो
रातों से लंबी
दिन से लंबा ख़ालीपन
अब क्या होगा मेरे मन?
मन की मीन
नयन की नौका
जब भी चाहे
बीती-अनबीती बातों में
डूबे-उतराए
निष्ठुर तट ने
तोड़ दिए हैं
बर्तुल लहरों के कंगन।
अब क्या होगा मेरे मन?
जितनी साँसें
रहन रखी थीं
भोले जीवन ने
एक-एक कर
छीनीं सारी
अश्रु-महाजन ने
लुटा हाट में
इस दुनिया की,
प्राणों का मधुमय कंचन।
अब क्या होगा मेरे मन।।
-- यह कविता Dr.Bhawna Kunwar द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।