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"घूँघट के पट / कबीर" के अवतरणों में अंतर
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घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे। | घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे। |
13:00, 7 जुलाई 2013 का अवतरण
घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे।
घट-घट मे वह सांई रमता, कटुक वचन मत बोल रे॥
धन जोबन का गरब न कीजै, झूठा पचरंग चोल रे।
सुन्न महल मे दियना बारिले, आसन सों मत डोल रे।।
जागू जुगुत सों रंगमहल में, पिय पायो अनमोल रे।
कह कबीर आनंद भयो है, बाजत अनहद ढोल रे॥