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|रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]{{KKCatBaalKavita}}{{KKPrasiddhRachna}}<poem>जब सब बोलते थेवह चुप रहता थाजब सब चलते थेवह पीछे हो जाता थाजब सब खाने पर टूटते थेवह अलग बैठा टूँगता रहता थाजब सब निढाल हो सो जाते थेवह शून्य में टकटकी लगाए रहता थालेकिन जब गोली चलीतब सबसे पहलेवही मारा गया
इब्नबतूता पहन के जूता
निकल पड़े तूफान में
थोड़ी हवा नाक में घुस गई
घुस गई थोड़ी कान में
कभी नाक को, कभी कान कोमलते इब्नबतूता पहन के जूता<br>इसी बीच में निकल पड़े तूफान में<br>पड़ाथोड़ी हवा नाक में घुस गई<br>घुस गई थोड़ी कान में<br>उनके पैरों का जूता
 कभी नाक को, कभी कान को<br>मलते इब्नबतूता<br>इसी बीच में निकल पड़ा<br>उनके पैरों का जूता<br>  उड़ते उड़ते जूता उनका<br>जा पहुँचा जापान में<br>इब्नबतूता खड़े रह गये<br>मोची की दुकान में।में</poem>