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"एक लहर फैली अनन्त की / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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10:51, 9 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

सीधी है भाषा बसन्त की

कभी आँख ने समझी
कभी कान ने पाई
कभी रोम-रोम से
प्राणों में भर आई
और है कहानी दिगन्त की।

नीले आकाश में
नई ज्योति छा गई
कब से प्रतीक्षा थी
वही बात आ गई
एक लहर फैली अनन्त की।