भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दलित जन पर करो करुणा / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
हरे तन मन प्रीति पावन, | हरे तन मन प्रीति पावन, | ||
− | मधुर हो मुख | + | मधुर हो मुख मनभावन, |
सहज चितवन पर तरंगित | सहज चितवन पर तरंगित | ||
हो तुम्हारी किरण तरुणा | हो तुम्हारी किरण तरुणा | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
समुद्धत मन सदा हो स्थिर, | समुद्धत मन सदा हो स्थिर, | ||
पार कर जीवन निरंतर | पार कर जीवन निरंतर | ||
− | रहे बहती भक्ति | + | रहे बहती भक्ति वरूणा। |
</poem> | </poem> |
18:59, 9 जुलाई 2013 का अवतरण
दलित जन पर करो करुणा।
दीनता पर उतर आये
प्रभु, तुम्हारी शक्ति वरुणा।
हरे तन मन प्रीति पावन,
मधुर हो मुख मनभावन,
सहज चितवन पर तरंगित
हो तुम्हारी किरण तरुणा
देख वैभव न हो नत सिर,
समुद्धत मन सदा हो स्थिर,
पार कर जीवन निरंतर
रहे बहती भक्ति वरूणा।