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"शासन की बंदूक / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

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धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक  
 
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रचनाकाल: 1966

17:37, 10 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक
नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक

उस हिटलरी गुमान पर सभी रहें है थूक
जिसमें कानी हो गई शासन की बंदूक

बढ़ी बधिरता दस गुनी, बने विनोबा मूक
धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक

सत्य स्वयं घायल हुआ, गई अहिंसा चूक
जहाँ-तहाँ दगने लगी शासन की बंदूक

जली ठूँठ पर बैठकर गई कोकिला कूक
बाल न बाँका कर सकी शासन की बंदूक

रचनाकाल: 1966