भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मै तुम्हे अधिकार दूँगा / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
|||
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | रचनाकार | + | |रचनाकार=कुमार विश्वास |
− | + | |संग्रह= कोई दीवाना कहता है / कुमार विश्वास | |
− | + | }} | |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
− | + | मैं तुम्हें अधिकार दूँगा | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
एक अनसूंघे सुमन की गन्ध सा | एक अनसूंघे सुमन की गन्ध सा | ||
− | |||
मैं अपरिमित प्यार दूँगा | मैं अपरिमित प्यार दूँगा | ||
− | + | मैं तुम्हें अधिकार दूँगा | |
− | + | ||
− | + | ||
सत्य मेरे जानने का | सत्य मेरे जानने का | ||
− | |||
गीत अपने मानने का | गीत अपने मानने का | ||
− | |||
कुछ सजल भ्रम पालने का | कुछ सजल भ्रम पालने का | ||
− | |||
मैं सबल आधार दूँगा | मैं सबल आधार दूँगा | ||
− | |||
मैं तुम्हे अधिकार दूँगा | मैं तुम्हे अधिकार दूँगा | ||
− | |||
ईश को देती चुनौती, | ईश को देती चुनौती, | ||
− | |||
वारती शत-स्वर्ण मोती | वारती शत-स्वर्ण मोती | ||
+ | अर्चना की शुभ्र ज्योति | ||
+ | मैं तुम्हीं पर वार दूँगा | ||
+ | मैं तुम्हें अधिकार दूँगा | ||
− | + | तुम कि ज्यों भागीरथी जल | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | तुम | + | |
− | + | ||
सार जीवन का कोई पल | सार जीवन का कोई पल | ||
− | |||
क्षीर सागर का कमल दल | क्षीर सागर का कमल दल | ||
− | |||
क्या अनघ उपहार दूँगा | क्या अनघ उपहार दूँगा | ||
− | + | मै तुम्हें अधिकार दूँगा | |
− | मै | + | </poem> |
− | + | ||
− | + |
16:02, 12 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
मैं तुम्हें अधिकार दूँगा
एक अनसूंघे सुमन की गन्ध सा
मैं अपरिमित प्यार दूँगा
मैं तुम्हें अधिकार दूँगा
सत्य मेरे जानने का
गीत अपने मानने का
कुछ सजल भ्रम पालने का
मैं सबल आधार दूँगा
मैं तुम्हे अधिकार दूँगा
ईश को देती चुनौती,
वारती शत-स्वर्ण मोती
अर्चना की शुभ्र ज्योति
मैं तुम्हीं पर वार दूँगा
मैं तुम्हें अधिकार दूँगा
तुम कि ज्यों भागीरथी जल
सार जीवन का कोई पल
क्षीर सागर का कमल दल
क्या अनघ उपहार दूँगा
मै तुम्हें अधिकार दूँगा